Sunday, May 08, 2005

दो कविताएँ

त्याग

कौन कहता है
कि हमने
छोड़ दी हैं
अपनी पुरानी परम्पराएँ
मसलन त्याग को ही लें
आज नेताओं ने
अनुशासन त्याग दिया है
व्यापारियों ने–
ईमान त्याग दिया है
छात्रों ने–
पढ़ना त्याग दिया है
शिक्षकों ने–
पढ़ाना त्याग दिया है
आधुनिकाओं ने–
वस्त्रों को त्याग दिया है
विधायकों ने–
दलों को त्याग दिया है
मतलब
सभी ने
कुछ न कुछ त्याग दिया है।
और इसलिए
वे सभी–
हमारी श्रद्धा के पात्र हैं।

***

हड़ताल
एक प्रसिद्ध
ताला बनाने वाली कम्पनी ने
सफल परीक्षणों के बाद
एक विलक्षण ताला बनाया
अब समस्या थी–
नाम की
तभी किसी ने सुझाया
आज के प्रचलित
चलन के अनुरूप
इसका उपयुक्त नाम रहेगा
हड़ताल।
***
- भास्कर तैलंग

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